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<poem>अब नहीं बचे
हाड़ों पर चर्बी और चाम
हाडारोड़ी से लौटा है
हड़खोरा कुत्ता
जीभ लपलपाता
ढूंढ़ने गांव के किसी झूंपे में
कहीं अटकी
कोई बूढ़ी सांस ।

</poem>
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