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अध्यात्म फल (जब कड़ी मारें पड़ीं) / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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12:40, 4 जुलाई 2010
वर्तनी सुधार
जब कड़ी मारें पड़ीं, दिल हिल गया
पर न कर चूँ भी, कभी पाया यहाँ;
मुक्ती
मुक्ति
की तब
युक्ती
युक्ति
से मिल खिल गया
भाव, जिसका चाव है छाया यहाँ।
Kvachaknavee
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