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वर्तनी सुधार
जब कड़ी मारें पड़ीं, दिल हिल गया
पर न कर चूँ भी, कभी पाया यहाँ;
मुक्ती मुक्ति की तब युक्ती युक्ति से मिल खिल गया
भाव, जिसका चाव है छाया यहाँ।
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