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14:54, 4 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दु:ख
झर रहा है
शब्द की माया में
धर रहा है
अपने को वह रूप
नि:शब्द की काया में
गीत में
भटक कर बार-बार
उतर रहा है
एक अतिन्द्रीय
पहचान से परे; बेआबाज़
पर-छाया में
<poem>