Changes

गर्व / मनोज श्रीवास्तव

638 bytes added, 08:58, 5 जुलाई 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> '''गर्व ''' भू…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''गर्व '''

भूचाल में
दादा-दादी
माँ-बाप
और सगों के

स्वाहा होने से
खँडहर बने
पैतृक घर का
बेदखल मालिक बनने का
और
काल-अनुमोदित
संयुक्तावस्था से
लम्पट-उच्छृंखल
एकाकीपन में
आने का
उसे बड़ा गर्व है.