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11:23, 5 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
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<poem>
''' दु:ख '''
दु:ख
सुख में
चुभा हुआ
काँटा है--विषबुझा
जो सुख के
पराकाष्ठा तक
पहुंचने से पहले
उसमें बने रहने का
एहसास
दिला ही देता है.