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08:15, 6 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
लाम पर गई है पलटन
बैरकें सूनी पड़ी हैं
निर्भ्रान्त और इत्मीनान से
सड़क पार कर रही बन्दरों की एक डार
एक शैतान शिशु बन्दर
चकल्लस में बार-बार
अपनी मां की पीठ पर बैठा जा रहा
डांट भी खा रहा बार-बार
छावनी एक साथ कितनी निरापद
और कितनी असहाय
अपने सैनिकों के बगैर
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