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प्रार्थना / लीलाधर जगूड़ी
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21:43, 7 जुलाई 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी
|संग्रह = घबराये हुए शब्द
/ लीलाधर जगूड़ी; चुनी हुई कविताएँ
/ लीलाधर जगूड़ी }}
<Poem>
फलो !
जब महंगे बेचे जाओ
तो तुरंत सड़ जाया करो
छूते ही या देखते ही ।
</poem>
अनिल जनविजय
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