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हिमाला / इक़बाल
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05:14, 8 जुलाई 2010
हाय क्या फ़र्ते-तरब में झूमता जाता है अब्र
फ़ीले-
बेज़ंज़ीर
बेज़ंजीर
<ref>स्वतंत्र गज</ref> की सूरत उड़ा जाता है दिल
जुंबिशे-मौजे-नसीमे-सुबह<ref>सुबह की हवा का झोंका</ref> गहवारा<ref>हिंडोला</ref> बनी
द्विजेन्द्र द्विज
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