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दिन-रात बसर करते हैं--गज़ल / मनोज श्रीवास्तव
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09:05, 13 जुलाई 2010
लोग उन्हें बेज़ुबान कहते हैं
जिनकी
रुस्वाइयाँ
सरशोरियाँ
मैने पचाई थक-छक कर
वो मुझे पीकदान कहते हैं
Dr. Manoj Srivastav
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