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पुल भर मैं / चंद्र रेखा ढडवाल
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15:29, 16 जुलाई 2010
जिससे पूर्णतया कटी हुई
कर्मयोगी कृष्ण की राधा-सी
दो छोरों की
खाए पाटते.
(भारती का बोध महसूसती)
खाई पाटती
एक पुल भर मैं.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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