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कवि गोष्ठी में / चंद्र रेखा ढडवाल
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15:38, 16 जुलाई 2010
<poem>
हर कविता में तुम थीं
पर
चुप-
सी
चुप दबी-ढकी
तुम्हारी चोली
ही
पर उछली
होकर
मुखर
रही
बहुत.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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