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पर सहलाते / चंद्र रेखा ढडवाल
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01:32, 17 जुलाई 2010
तितली के
पर सहलाते
उसकी उँगलियों
की
के
पोरों पररंग आ जाते हैं
/ सहलाता है वह
उन्मत्त-सा फिर-फिर
और उसकी हथेली पर
द्विजेन्द्र द्विज
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