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बच जाता आदमी / चंद्र रेखा ढडवाल
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01:39, 17 जुलाई 2010
कभी तन की
रिश्ता प्यार का
कभी
दुनियादारी का
बचाने में
लगी रहती है औरत
और
बच जाता
बचा रहता
है आदमी
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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