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{{KKCatKavita}}
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साथ-साथ औरत
चलती है ज़िन्दगी
और ज़िन्दगी के साथ-साथ औरत
और अपने बीच तानते हुए
एक चादर धूल-धूसरित
***
कोई/देखते एक-एक पेड़
पेड़ पर बैठी चिड़िया
चिड़िया की चोंच में दाना
दाना समाए चोंच में
खुल रही जो सम्मुखउचक-उचक उससे पहले ही
झपट ले जाते बाज को
***
कोई/पीठ पर लादे बोझ
जो चलाए उसे धकियाते हुए
सोचे बोझ
कहे नहीं
बुदबुदाए महसूस करे बोझ
</poem>