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06:53, 19 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
मैं कम उजाले में भी
पढ़-लिख लेता हूं
अपने दीगर काम
मजे से निपटा लेता हूं
सिर्फ इतने जतन से
कम के लिए
कुछ रोशनी बचा लेता हूं
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