705 bytes added,
07:00, 19 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
एस.एम.एस. का
एक वायदा कारोबार खुला है
इसमें स्त्रियों
और सरदारों की मासूमियत को
फूहड़ लतीफों में बेचा जा रहा है
हंसने वाले महाशयों
सुनो !
इस हंसी के पार्श्व में
किसी के रोने की आवाज आ रही है
00