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13:06, 19 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=मैं यहाँ हूँ/रमेश कौशिक
}}
<poem>
सर्वाधिक
अनुशासन
होता है कब्रों में
और जीवन विचारों में|
किंतु इनसे
प्रकाश ही नहीं
आग भी लगती है
कभी दुनिया विएतनाम
कभी बंगाल बनती है|
</poem>