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मेरा आंगन / ओम पुरोहित ‘कागद’
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|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद
|संग्रह=धूप क्यों छेड़ती है / ओम पुरोहित कागद
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poem
Poem
>सड़क
दहलीज पर आ कर चली गई,
दहलीज में अटका रह गया
अनिल जनविजय
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