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रोटी की बात / ओम पुरोहित ‘कागद’
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|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद
|संग्रह=आदमी नहीं हैं / ओम पुरोहित कागद
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poem
Poem
>यदि कोई बनबिलाव
छीन कर आपके हाथ से
ले जाता है रोटी
अनिल जनविजय
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