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दोस्त / इदरीस मौहम्मद तैयब
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06:04, 21 जुलाई 2010
उसकी गरदन के तिल से
मेरा याराना हो गया है
मैं कभी-कभी उसका
अभि९वादन
अभिवादन
करता हूँ
लेकिन मैं कभी भी
भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।
अनिल जनविजय
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