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09:52, 21 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
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<poem>
''' थोडी सी कच्ची जगह '''
पक्के आंगन के बीच
फुट बाई फुट की जो
कच्ची जगह छोड दी थी हमने
कोई न कोई
हरियाली रोपने के लिए
उस पर घर का बच्चा
खेल रहा है
कैइ दिनों से
अनेक खिलौनों
और बैट-बाल के
बावज़ूद
कितनी बडी नेमत है
बच्चे के लिए
यह थोडी सी कच्ची जगह।