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कविता-6 / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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15:10, 21 जुलाई 2010
<Poem>
रास्ते में जब हमारी आँखें मिलती हैं
मैं सोचता
हूं
हूँ
मुझे उसे कुछ कहना था
पर वह गुज़र जाती है
और हर लहर पर बारंबार टकराती
अनिल जनविजय
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