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{{KKCatKavita}}
<poem>
 
''' कमबख्त हिन्दुस्तानी '''
 
आगे
थोड़ा और आगे
उफ़्फ़! और आगे क्यों नहीं
अरे-रे-रे, रुक क्यों गए
ज़मीन पर आँखें गड़ाए क्यों खडे खड़े हो
हाँ, हाँ, कोशिश करो