Changes

मौसम / गुलज़ार

751 bytes added, 14:33, 22 जुलाई 2010
नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = पुखराज / गुलज़ार }} <poem> बर्फ पिघलेगी ज…
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
<poem>
बर्फ पिघलेगी जब पहाड़ों से
और वादी से कोहरा सिमटेगा
बीज अंगड़ाई लेके जागेंगे
अपनी अलसाई आँखें खोलेंगे
सब्ज़ा बह निकलेगा ढलानों पर

गौर से देखना बहारों में
पिछले मौसम के भी निशाँ होंगे
कोपलों की उदास आँखों में
आँसुओं की नमी बची होगी
</poem>
270
edits