गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पत्नी-२. पति की मृत्यु पर / मनोज श्रीवास्तव
3 bytes removed
,
09:42, 30 जुलाई 2010
कुछ मनचाहे द्वंद्वों के
मधुमासी फुहार
जलाते
जलते
जिस्मानी जज़्बात के
आकार-प्रकार
प्रेम में सागर
डूबती, डूबती ही जाएगी
श्वांस के अंतिम उच्छवास तक--
ग्लानी
ग्लानि
-सागर में,
अनियंत्रित दुश्चिन्ताओं के
अश्रुनदीय भंवर में,
Dr. Manoj Srivastav
635
edits