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17:34, 30 जुलाई 2010 कितनी दफा मिले हैं इस गुलमोहर के नीचे
यादों कर सिलसिले हैं इस गुलमोहर के नीचे
ये है हमारे प्यार का इकलौता राजदार
क्या क्या न गुल खिले हैं इस गुलमोहर के नीचे
पत्तों की पायजेब गुलों की मोहर गले
गहने गजब मिले हैं इस गुलमोहर के नीचे
पूरब से हम चले थे पच्छिम से आये तुम
दो दिल यहाँ मिले हैं इस गुलमोहर के नीचे
कैसे बुने थे हमने सपने बड़े बड़े
वे स्वप्न के किले हैं इस गुलमोहर के नीचे
पल में तुम्हारा रूठना और मेरा मनाना
नखरे हैं चोचले हैं इस गुलमोहर के नीचे
अब भी अधूरे हैं जो किये थे कभी यहीं
वायदों के काफिले हैं इस गुलमोहर के नीचे
अनचाहे वाकये भी यहाँ हैं दबे पड़े
शिकवे हैं कुछ गिले हैं इस गुलमोहर के नीचे