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अख़लाक़ न बरतेंगे मुदारा न करेंगे / जॉन एलिया
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04:38, 1 अगस्त 2010
हम चुप हैं भरे बैठे हैं गुस्सा न करेंगे
कल रात बहुत
ग़ौर्
ग़ौर
किया है सो हम ए "जॉन"
तय कर के उठे हैं के तमन्ना न करेंगे
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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