गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता / ग़ालिब
2 bytes removed
,
10:19, 6 अगस्त 2010
डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !<br />
हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,<br />
वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता
।
!
<br />
Anil Kant
18
edits