नया पृष्ठ: बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या,<br /> बात करते कि मैं लब तश्नए-…
बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या,<br />
बात करते कि मैं लब तश्नए-तक़रीर भी था ।<br />
पकड़े जाते हैं फरिश्तों के लिखे पर नाहक़,<br />
आदमी कोई हमारा, दमे-तहरीर भी था ?<br />