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14:17, 7 अगस्त 2010 {{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक लव
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आज मेरा दोस्त मुझसे लिपटकर
खूब हँसा
हमने महीनो बाद खाए
रामेश्वर के गोलगप्पे
हमने महीनो बाद खायी
आतिफ की दूकान से
देसी घी की गर्म-गर्म जलेबियाँ
आज न ईद थी
आज न होली थी
फिर भी लगा आज कोई त्योहार था
आज उसने मस्जिद की बातें नहीं की
आज मैंने मंदिर कीई बातें नहीं की
आज हमने राजनीती की बातें नहीं की
उसने महीनो बाद
मेरी पत्नी के हाथ के हाथ की बनी
मक्की की रोटी खाने की फरमाईश की
मैंने सबीना भाभी के परांठों का जिक्र किया
हम दोनों ने महीनो बाद
बच्चों के बारे में बातें की
हम दोनों ने आज जी भरकर
सियासतदानो को गालियाँ दी
</poem>