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{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक लव
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<poem>
||एक||

यूँ ही रख दिया
चांदनी बयार ने अपना हाथ
अमलतास के कन्धों पर
पीले फूलों से भर गया अमलतास
महक उठा चन्दन-सा
कल तक उदास था
आज खिल उठा अमलतास

||दो||

अँधेरे जंगलों में
रूखा-सूखा खड़ा था बांस
बढ़े दो हाथ
तराशा-संवारा
अधरों से लगाया
बज उठे बांस

||तीन||

पुस्तकों के पृष्ठों में
बंदी थे शब्द
कोमल उँगलियों ने खोल दी जंजीरें
पुस्तकों से निकल आये शब्द
अधरों ने गुनगुनाये
गीत बन गूँज उठे शब्द
</poem>
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