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05:13, 8 अगस्त 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
।संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक
}}
<poem>
आज मैं
वह ढूँढ रहा हूँ
लेकिन वह नहीं मिलता
शायद
जीवन के
रेलम-पेले में खो गया
या कहीं
दुर्घटनाग्रस्त हो
चिर निद्रा में सो गया
कभी वह
मैं था
आज मैं
वह है
</poem>