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आग का अर्थ / विष्णु प्रभाकर
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06:08, 16 अगस्त 2010
हम सिद्धहस्त आत्मगोपन में
हम प्रतिपल भजते
रघुपति राघव राजा राम
होते हैं जिसके अर्थ
चोरी हिंसा तेरे नाम
</poem>
अनिल जनविजय
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