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अरण्य काण्ड / रामचरितमानस / तुलसीदास
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18:02, 21 अगस्त 2010
<center><font size=4>तृतीय सोपान</font></center><br>
<center><font size=5>अरण्यकाण्ड</font></center><br><br>
<span class="shloka">
श्लोक
<br>
श्लोक
मूलं धर्मतरोर्विवेकजलधेः पूर्णेन्दुमानन्ददं<br>
वैराग्याम्बुजभास्करं ह्यघघनध्वान्तापहं तापहम्।<br>
सम्पूरन
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