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स्कूल पर आल्हा / मुकेश मानस

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स्कूल जहाँ पिंजरा बन जाये
और किताबें केवल बोझ
कमर टूट जाये बच्चों की
ऐसी शिक्षा है एक रोग

रटो, रटो और रटते रहो बस
और अक्ल से काम ना लो
ऐसी पढ़ाई नहीं काम की
जितनी भी चाहे पढ़ लो

आओ भारत देश के वीरो
बचपन को लें आज बचाय
ऐसी शिक्षा को ले आएं
बच्चा फूल सा खिल-खिल जाय
2005
<poem>
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