931 bytes added,
13:59, 22 अगस्त 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>
उनके पास लाठी हैं, बन्दूक हैं
तोपों के जाल हैं
तुम्हारे शब्द, तुम्हारे गीत
तुम्हारे हाथ ही ढाल हैं
उनके पास रेडियो हैं, अख़वार हैं
छापाखाने हैं
तुम्हारे पास सपने हैं
उम्मीद के तराने हैं
उनके पास रोटी है, छत है
शांति है
तुम्हारे पास दर्द है, भूख है
क्रांति है
1997, पुरानी नोटबुक से
<poem>