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14:14, 22 अगस्त 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>
मैंने लिखा एक शब्द
और शब्द अर्थहीन हो गया
मैंने लिखा एक वाक्य
औए वाक्य असंगत हो गया
मैंने लिखी एक कविता
और कविता मज़ाक हो गई
आजकल की दुनिया
बड़ी तेजी से बदल रही है।
2010
<poem>