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<poem>
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तॆरी ज़ुल्फ कॆ सर <ref>विजय, सुलझना</ref> होने तक!
दाम हर मौज में है हल्का-ए-सदकामे-नहंग
</poem>
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