गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक / ग़ालिब
58 bytes added
,
05:58, 27 अगस्त 2010
<poem>
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तॆरी ज़ुल्फ कॆ सर
<ref>विजय, सुलझना</ref>
होने तक!
दाम हर मौज में है हल्का-ए-सदकामे-नहंग
</poem>
{{KKMeanings}}
Aadil rasheed
98
edits