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ललक / त्रिलोचन
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16:48, 21 मई 2007
हाथ मैं ने
उंचाए
उँचाए
हैं
उन फलों के लिए
हाथ मैं ने
उंचाए
उँचाए
हैं
उन फलों के लिये
डर नहीं है
हंसा जाऊंगा
हँसा जाऊँगा
!
('तुम्हें सौंपता हूं' नामक संग्रह से )
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Hemendrakumarrai