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सीने में बसर करता है ख़ुशबू सा कोई शख़्स / संकल्प शर्मा
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21:12, 29 अगस्त 2010
बरगद का शजर देखा तो इक हूक सी उट्ठी ,
जब
बि
बिछड़ा
था मुझसे मिरे बाजू सा कोई शख़्स।
ग़ज़लों की बदौलत ही तो वो मुझमें बसा है
Aadil rasheed
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