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पेड़ और भेड़ / ओम पुरोहित ‘कागद’
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15:06, 30 अगस्त 2010
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|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद
|संग्रह=आदमी नहीं हैं / ओम पुरोहित कागद
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<Poem>
जब भी
मेरी आंखों में उगते है
भूल कर
पालने लगता हूं
वह
स्वप्नघाती
स्वप्रघाती
भेड़
और फिर
कहीं भी
यहीं सवाल
मुझे कचोटता रहता है
</poem>
Ankita
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