Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद
|संग्रह=आदमी नहीं हैं / ओम पुरोहित कागद
}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
जब भी
मेरी आंखों में उगते है
भूल कर
पालने लगता हूं
वह स्वप्नघाती स्वप्रघाती भेड़
और फिर
कहीं भी
यहीं सवाल
मुझे कचोटता रहता है
</poem>
37
edits