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05:08, 1 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा
|संग्रह=धूप से रूठी चाँदनी / सुधा ओम ढींगरा
}}
<poem>
चाँद से
मुट्ठी भर चाँदनी
उधार ले आई
हृदय के उन कोनों को
उजागर करने के लिए.
जहाँ भावनाएँ रावण बन
सामाजिक मर्यादायों की
लक्ष्मण- रेखा पार करना चाहती हैं
और मन सीता सा
इन्कार करता हुआ भी छला जाता है
</poem>