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तुम न आए तो क्या सहर न हुई / ग़ालिब
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19:05, 2 सितम्बर 2010
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
तुम न आए तो क्या सहर
<ref>प्रात:</ref>
न हुईहाँ मगर चैन से बसर
<ref>गुज़रना</ref>
न हुई
मेरा नाला<ref>रोना-धोना,शिकवा </ref>सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
<ref> </ref>
</poem>
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