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12:09, 4 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|संग्रह=आदमी नहीं है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
मुझ से
सवाल मत करो
मेरे दोस्त
मैं
सवालो से
बहुत डरता हूं
क्योंकि
मेरे पास
पहले से ही
बहुत से
भयानक सवाल
अनुत्तरित पड़े हैं।
सवालों में
बहुत आंच होती है
बस
इसी आंच के संग्रह से
मैं बहुत डरता हूं।
</poem>