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बहुत ख़फ़ा हैं वो आज हमसे हमें बस इतना जता रहे हैं / गोविन्द गुलशन
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14:06, 4 सितम्बर 2010
वो अपना मौसम बना रहे हैं,हम अपने ग़म को भुला रहे हैं
न लफ़्ज़ कोई,न लब पे
जुम्बिश
जुंबिश
कलाम आँखों से हो रहा है
उन्हें हम अपनी सुना रहे हैं,हमें वो अपनी सुना रहे हैं
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Govind gulshan
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