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<poem>
उठती है हर इक दिल में यहाँ पीर हमेशा

चुभता है कलेजे में कोई तीर हमेशा


जागो तो फिजा अपने मवाफिक नहीं मिलती

उल्टी ही मिली ख्वाबों की ताबीर हमेशा


अख़बार के पन्नों पे अगर छप भी गयी तो

क्या सच है, बताती नहीं तस्वीर हमेशा


दुश्मन कभी बातों से भी हो जाता है घायल

काम आती नहीं जंग में शमशीर हमेशा


लाहौर से दिल्ली की डगर साफ़ है लेकिन

आंखों में खटक जाता है कश्मीर हमेशा<poem/>