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11:49, 5 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
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रचनाकार=सर्वत एम जमाल
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<poem>
फिर कहा उस ने, वजू करना
मैं ने पूछा तुम को छू कर ना !
दिल तो इक नन्ही सी थैली है
इस में इतनी आरजू करना !
सख्त मुश्किल था, किया हम ने
ख़ुद को यूँ बेआबरू करना
चीज़ें ऊंचे दाम बिकती हैं
सोचना, फिर जुस्तजू करना करना
इन दिनों खामोश रहता हूँ
आ गया है गुफ्तगू करना
सारी बातें पीठ के पीछे
चंद बातें रूबरू करना<poem/>