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{{KKRachna}} |रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} {{KKCatGazalKKCatGhazal}} <poem>
बयान देते हैं सब, कोई जी नहीं देता
लिखत पढ़त ही शरीफों में ले गयी सर्वत
मगर लहू मुझे संजीदगी नहीं देता<poem/poem>