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श्रद्धा जैन

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'''ग़ज़ल'''
* [[कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है / श्रद्धा जैन]]
* [[काश बदली से कभी धूप निकलती रहती / श्रद्धा जैन]]
* [[वो सारे ज़ख़्म पुराने, बदन में लौट आए / श्रद्धा जैन]]
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