Changes

गीत-3 / मुकेश मानस

9 bytes removed, 13:44, 7 सितम्बर 2010
{{KKCatKavita}}
<poem>
 
 
जितनी बार लड़ेंगे दुख से
हम उतने ही वीर बनेंगे
राहों में चाहे शूल मिलें
मन के कोमल फूल जलें
जितनी बाधाएं बाधाएँ होंगी पथ मेंहम उतने ही धीर बनेंगे, जितनी बार्……बार...
दुख के बादल तो छायेंगेछाएँगेजल विपदा का बरसाएंगेबरसाएँगे
एक दिन दुख ओ` पीड़ा
अपनी ही तकदीर बनेंगे, जितनी बार...
1987
 
<poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits